Monday, January 4, 2016

जपादि में दिशा का विचार

यत्र दिङ्नियमो न स्याज्जपहोमादिकर्मसु |
तिस्रस्तत्र दिशः प्रोक्ता ऐन्द्री सौम्याऽपराजिताः ||

ऐन्द्री  - पूर्व

सौम्या - उत्तर

अपराजिता - ऐशानी

जप होमादियों में जहां दिशा सूचित न किय‌ा हो वहां पूर्व ,उत्तर या ऐशानी दिशा ग्रहण करना चाहिये |