अधोमुखं शत्रुविवर्धनाय ऊर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोगवृध्यै |
प्राचीमुखं वित्तविनाशनाय तस्माच्छुभं सम्मुखनारिकेलम् ||
अधोमुख नारियल से शत्रुओं की वृद्धि होती है, ऊपर की ओर मुख से रोगादि बढते हैं, पूर्व की ओर मुख है तो धननाश होता है | इसलिये नारियल को पूजक की ओर मुख करके रखें |
प्राचीमुखं वित्तविनाशनाय तस्माच्छुभं सम्मुखनारिकेलम् ||
अधोमुख नारियल से शत्रुओं की वृद्धि होती है, ऊपर की ओर मुख से रोगादि बढते हैं, पूर्व की ओर मुख है तो धननाश होता है | इसलिये नारियल को पूजक की ओर मुख करके रखें |