Thursday, November 19, 2015

यज्ञादि में एक वस्त्र का धारण न करें

नैकवस्त्रो द्विजः कुर्यात् भोजनं च सुरार्चनम् |
तत्सर्वम‌सुरेन्द्राणां ब्रह्मा भ‌ागम‌कल्पयत् || ( व्याघ्रपादः )

वस्त्र  के साथ उत्तरीय का धारण भोजनकाल और पूजनकाल में अवश्य करें | एक वस्त्र का धारण असुरों के लिये ब्रह्माजी ने आदेश किया है  |

होमदेवार्चनाद्यासु क्रियास्वाचमने तथा |
नैकवस्त्रः प्रवर्तेत द्विजवाचनिके जपे || ( विष्णुपुराणम् )

होम,अर्चन‌ा,आचमन,पुण्याह - स्वस्तिवाचन,जप इत्यादि सत्कार्य एक वस्त्र के साथ न करें |

न दानजपहोमेषु श्रद्धाध्ययनकर्मसु |
एकवस्त्रः प्रवर्तेत द्विजवाचनिके तथा || ( भविष्यपुराणम् )

दान,जप,होम,श्राद्ध, अध्ययन,पुण्याहवाचनादि कर्म एक वस्त्र पहन कर न करें |